खंडवा पुनासा रोमी सलुजा की रिपोर्ट
आज शरद पूर्णिमा पर मुख्य निशान संत सिंगाजी समाधि पर चढ़ाया गया।
शरद पूर्णिमा होने पर पर तीन लाख से अधिक श्रद्धालु संत सिंगाजी समाधि दर्शन को पहुंचे
भक्तों से भरा हुआ मेला ग्राउंड लगातार बड़ी तादाद में पंहुच रहे श्रद्धालु, सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था रही
खंडवा पुनासा। आज शनिवार शरद पूर्णिमा पर तीन लाख से अधिक भक्तों सिंगाजी समाधि स्थल पर पहुंचे
शुक्रवार की देर शाम तक 80000 के लगभग श्रद्धालु संत सिंगाजी बाबा के पास पहुंच चुके थे। मुख्य दिवस शरद पूर्णिमा होने पर शनिवार को दिनभर बीड़ से आवागमन बड़ी संख्या में दो पहिया चार पहिया वाहन से भक्तों ने आवाजाही रही जानकारी से प्रति वर्ष अनुसार सिंगाजी बाबा का सुबह प्रातः काल में समाधि को पंचामृत से स्नान कर भोग लगाया जाएगा चंद्र ग्रहण होने से बाबा की समाधि पर 3:00 बजे झाबुआ के राजघराने से आया निशान व अन्य भक्तों द्वारा पैदल ले गए निशान भी चढ़ाया गए। महाआरती हुई जिसमें भारी संख्या में सिंगाजी बाबा के भक्तगण जो खंडवा खरगोन बुरहानपुर छिंदवाड़ा इंदौर बैतूल खरगोन जिले सहित महाराष्ट्र अन्य प्रदेशों से दर्शन को पहुंचते हैं। जिनके द्वारा मुख्य प्रसादी घी नारियल चिरौंजी संत सिंगाजी महाराज को चढ़ाया गया। आपको बता दें कि
निमाड़ के चमत्कारी संत सिंगाजी महाराज खाने को चमत्कार भक्तों ने साक्षात देखे हैं खरगोन जिले से पहुंचे सिंगाजी बाबा के भक्ति रामदास ने बताया कि बाबा के अनेक चमत्कार हमने देखे हैं और हम हर वर्ष बाबा की समाधि स्थल पर दर्शन को पहुंचते हैं जहां हम बाबा की समाधि स्थल पर अपने पशुओं के लिए बेल समाधि पैर छूकर अपने पशुओं को बांधते हैं जिससे उसे कोई बीमारी ग्रसित नहीं होती इसी प्रकार हमारी खेती में भी हम समाधि से जल को ले जाते हैं और अपने खेतों में छुट्टी हैं जिससे हमारे खेतों में अच्छी फसल और उत्पादन हो ऐसी कामना कर हम बाबा की समाधि से दर्शन कर पहुंचते हैं मुख्य दिवस होने पर सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस की चकबंदी व्यवस्थाएं रही।
शरद पूर्णिमा पर अर्पित होती है कची केरी
बाबा की समाधि स्थल पर हर वर्ष वर्षों से चली आ रही परंपरा किसी भक्त के द्वारा समाधि स्थल पर कच्ची केरी अर्पण की जाती है जिसकी अनेक मान्यता विद्वानों द्वारा बताई गई है कंची केरी कहां से आती है इसका तो पता नहीं चलता पर सिंगाजी बाबा के भक्त द्वारा यह केरी बाबा की समाधि पर अर्पण की जाती है जिसका प्रसाद शरद पूर्णिमा के दिन वितरण भी किया जाता है जिस किसी महिला को संतान का सुख नहीं होता उसे काची केरी के प्रसाद को लेने के बाद संतान की प्राप्ति होती है ऐसा परंपरा वर्षों से चली आ रहीं है।