भुपेश सरकार का बजट पूर्ण रूप से दिशाहीन है भाजपा सरसीवा मंडल महामंत्री रेशम कुर्रे ने कांग्रेस सरकार की अंतिम बजट पर कसा तंज
1.छतीसगढ़ को कर्ज में डुबो चुकी भुपेश सरकार
2.कांग्रेस सरकार भोले भाले छत्तीसगढ़ वासियो के साथ कर रही छलावा
3.निजी फायदों के लिए कार्पोरेट नीति पर जोर
*सारगढ़* *बिलाईगढ*- सरसींवा के भाजपा मंडल महामंत्री रेशम कुर्रे ने वर्तमान बजट को लेकर कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना।श्री रेशम कुर्रे ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता लगभग 4 साल से देख रही है कि किस प्रकार छत्तीसगढ़ को कर्जे के जाल में फंसाया जा रहा है। 112000 करोड़ से भी बड़े बजटीय पिटारे में सत्तर-नब्बे प्रतिशत ऋण बोझ है, प्रति ऋण भार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, ऋण के लिए ही लगभग 500 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। बजट में केंद्रीय कार्यो लगभग 50,000 करोड रुपए प्राप्त करना इस बात का प्रमाण है कि केंद्र प्रवर्तित योजनाएं और केंद्रीय सहायता से ही राज्य की आर्थिक झटके पिछले 5 वर्षों में संचालित हो रही है, 3 साल में बाजार से खुले बाजार से कर्ज नहीं दिया गया के बावजूद 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा लिए गए हैं, बावजूद इसके लोक कल्याण एवं विकास कार्य ठप्प पड़े हुए हैं।मनरेगा ग्रामीण रोजगार का सबसे बड़ा साधन है, लेकिन पंजीकृत परिवारों को औसतन 40 दिन ही काम मिल रहा है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के बारे में भी बजट में कोई दिशा नहीं है। जो योजनाएं पहले से लागू है, केवल उन्हें दुहराकर खेती-किसानी और गांवों का विकास नहीं किया जा सकता। छत्तीसगढ़ को कर्ज में डुबोने वाली कांग्रेस सरकार सिर्फ छलावा कर रही ,आगामी चुनाव के मद्देनजर यह लोकलुभावन बजट भी दिशा हीन सा प्रतीत होता है । विकास की बातें केवल समाचार पत्रों में,कागजों में सिमट कर रह गयी धरातल पर आज सब शून्य है । रोड के नाम पर पेंच वर्क कर सिर्फ लीपापोती की गई ।आज भाजपा कार्यकाल के बाद बिलाईगढ़ क्षेत्र में ही क्या पूरे प्रदेश में कोई भी सड़क निर्माण न हो सका । जर्जर सड़के छत्तीसगढ़ की भुपेश सरकार का हाल बयां करती है ।वही इस बजट में बिलाईगढ़ क्षेत्र को पूर्ण रूप से नजरअंदाज कर दिया गया । सरसींवा क्षेत्र के लिए मुख्यमंत्री की स्वयं की घोषणाओं को इस बजट में नजरअंदाज कर दिया जाना सोचनीय है ।
कांग्रेस सरकार की कथनी और करनी शुरू से ही विपरीत और निजी फायदे से प्रेरित रही है ।प्रदेश में जल, जंगल, जमीन और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट से आदिवासी समुदाय और ग्रामीण जनता तबाह हो रही है, उस पर बजट में कोई चिंता नहीं है, क्योंकि यह लूट कांग्रेस के संरक्षण में हो रही है। यही कारण है कि पिछले चार सालों में केवल 40000 आदिवासियों को ही आधा-अधूरा वनाधिकार दिया गया है, जबकि लाखों आवेदनों को सबूत के बावजूद खारिज कर दिया गया है। बरसों पुराने अधिग्रहण के प्रकरणों पर मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास के मुद्दे पर भी सोची-समझी चुप्पी साध ली गई है। पेसा के क्रियान्वयन के लिए जो नियम बनाये गए हैं, उससे पेसा की मूल भावना का ही उल्लंघन होता है।
आगे श्री रेशम कुर्रे ने कहा कि यह सरकार चुनावी जुमलेबाजी का खेल खेलरही आगामी चुनाव को देखते हुए बेरोजगारों को छलने का प्रयत्न कर रही। बेरोजगारी भत्ता के लिए केवल 250 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है, जिससे केवल 83000 बेरोजगारों को ही भत्ता दिया जा सकता है, जबकि पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या ही 19 लाख है और गैर-पंजीकृत बेरोजगार इससे कहीं ज्यादा है। गरीबी के पैमाने पर भी 72% परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। अतः बेरोजगारी भत्ता की घोषणा केवल ‘चुनावी जुमला’ भर है। इसके साथ ही, प्रदेश में लगभग एक लाख सरकारी पद रिक्त हैं, न उन्हें भरने की घोषणा की गई है और न ही अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की। आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में वृद्धि आईसीडीएस के प्रस्ताव से बहुत नीचे हैं और रसोईयों और सफाईकर्मियों को कलेक्टोरेट दर से भी वंचित रखा गया है। समान सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने वाले वृद्ध, विधवा, असंतुलित जानो को 1000 रुपये के स्थान पर 500 ब्रोकरेज का प्रावधान करने से उन्हें भी ठगने का काम यह सरकार कर रही है। इससे साफ है कि समाज के सबसे ज्यादा दमित-शोषित निचले तबके के प्रति सरकार का क्या रवैया है? भुपेश बघेल की कार्पोरेटपरस्त नीतियो से आज छत्तीसगढ़ का विकास पूर्ण रूप से अवरुद्ध हो चुका ।
आत्माराम पटेल का रिपोर्ट