मध्य प्रदेश कटनी
ढीमरखेड़ा- तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाली सेंट्रल बैंक मे मैनेजर के द्वारा हितग्राहियों को परेशान किया जा रहा है जब किसी भी विषय को लेकर हितग्राही मैनेजर के पास जाते हैं तो ऐसा जवाब दिया जाता है कि हितग्राही परेशान हो जाते हैं। हितग्राहियों के द्वारा ऐसा भी बताया जाता है कि मैनेजर के द्वारा हितग्राहियों को गाली- गलौज तक का उपयोग किया जाता है। सेंट्रल बैंक के स्टॉप भी मैनेजर के रवैया से परेशान हैं। सेंट्रल बैंक का मैनेजर काम तो कम पर बातें बहुत करता है ऐसा लगता है जैसे बातें करने की ही ट्रेनिंग लेकर आया है। जब कोई व्यक्ति शिकवा – शिकायत 181 मे करता है तो बैंक मैनेजर के द्वारा उत्तर दिया जाता है कि बैंक में स्टाफ की कमी है। अगर स्टाफ की कमी है तो क्या ढीमरखेड़ा बस में कमी है बाकी बैंकों में कमी नहीं है क्या ? अगर बातें एवं बहाने बनाना सीखना हो तो सेंट्रल बैंक के मैनेजर से मिल लीजिए। जो काम बैंक में 1 दिन में हो जाना चाहिए वह काम हितग्राहियों का 1 महीने में होता है हितग्राही लगातार बैंक के चक्कर काटते हुए नजर आते हैं हताश और बेबस हितग्राही एक आस लेकर बैंक में आते हैं और निराश होकर बैंक से जाते हैं। हितग्राहियों के निराशा का कहीं ना कहीं कारण बैंक मैनेजर है। अगर इसी तरह का रवैया बैंक मैनेजर का रहा तो हितग्राही आत्मदाह करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। अगर अधिकारी एवं कर्मचारी ऐसे तानाशाह रहेंगे तो बेचारी जनता ऐसे ही परेशान होती रहेगी। अब देखना यह होगा कि खबर लगने के बाद उच्च अधिकारी ऐसी तानाशाह मैनेजर के ऊपर क्या कार्यवाही करते हैं।
*राहुल पांडे की रिपोर्ट*