भारत tv24×7 न्यूज चैनल रिपोर्टर – सैफ अली
बलरामपुर, 20 दिसम्बर 2024/ जिला बलरामपुर के कुसमी जनपद पंचायत में पिछले दो वर्षों से मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) के पद का कार्य एक अयोग्य प्रभारी के भरोसे चल रहा है, जो शासन के नियमों और आदेशों की धज्जियाँ उड़ रहा है। इस मामले में कई सवाल उठने लगे हैं, खासकर जब यह साफ हो चुका है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश के बावजूद इस महत्वपूर्ण पद पर योग्य अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की जा रही है।
अयोग्य प्रभारी से जनपद पंचायत की सूरत:
कुसमी जनपद पंचायत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी का पद लगातार विवादों में रहा है। वर्ष 2022 में सूरज गुप्ता को सीईओ नियुक्त किया गया था, लेकिन महज चार महीने बाद उन्हें हटाकर अन्यत्र अटैच कर दिया गया। इसके बाद, कुसमी जनपद पंचायत का प्रभार शंकरगढ़ के सीईओ संजय दुबे को दिया गया, जिन्हें लगभग आठ महीने तक दोनों जनपद पंचायतों का कार्य संभालना पड़ा।
इसके बाद 19 जून 2023 को बलरामपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया, जिसके तहत कुसमी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार डॉ. अभिषेक पांडे, जो कि पशु चिकित्सा सहायक अधिकारी हैं, को अस्थायी रूप से सौंप दिया गया। ये सभी घटनाएँ पंचायत विभाग के नियमों और आदेशों के खिलाफ हो रही हैं, जिससे कुसमी जनपद पंचायत में न केवल प्रशासनिक असमंजस की स्थिति पैदा हुई है, बल्कि विकास कार्यों में भी रुकावटें आ रही हैं।
शासन के आदेशों की अनदेखी और विवाद:
छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने स्पष्ट रूप से आदेश जारी किया है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार केवल संबंधित विभाग के अधिकारियों को ही सौंपा जाए, लेकिन कुसमी जनपद पंचायत में ये आदेश दो वर्षों से ठुकराए जा रहा हैं। पिछले आदेशों को नजरअंदाज कर वर्तमान में एक पशु चिकित्सक को सीईओ के पद पर नियुक्त किया गया है, जबकि इसके लिए विभागीय अधिकारी पूरी तरह से उपलब्ध हैं।
कुसमी जनपद पंचायत में लगातार अफसरों की अदला-बदली:
पिछले कुछ वर्षों में कुसमी जनपद पंचायत में अफसरों की अदला-बदली का सिलसिला थमा नहीं है। वर्ष 2018 से 2023 तक कुल 6 मुख्य कार्यपालन अधिकारी बदल चुके हैं, जिससे यहां के विकास कार्य और प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित रही है। अब, इस पद पर 7वें प्रभारी के रूप में डॉ. अभिषेक पांडे को नियुक्त किया गया है, जो एक ओर संकेत है कि यहां पर राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की नियुक्ति में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
गैर-विभागीय अधिकारियों की नियुक्ति का रहस्यमयी पहलू:
कुसमी पंचायत में सीईओ का प्रभार एक पशु चिकित्सक को दिए जाने के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जनपद पंचायत के कार्यों का संचालन केवल संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा ही किया जाना चाहिए। लेकिन कुसमी पंचायत में इस आदेश की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। इसके चलते पंचायत के विकास कार्यों की गति धीमी पड़ गई है और वित्तीय दुरुपयोग के मामले भी बढ़ने लगे हैं।
राजनीतिक दखल और प्रशासनिक बदनामी:
कुसमी जनपद पंचायत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर नियुक्ति के मामलों में स्पष्ट रूप से राजनीतिक दखलअंदाजी का संकेत मिल रहा है। इससे न केवल प्रशासनिक कार्यों में रुकावटें आई हैं, बल्कि शासन की बदनामी भी हो रही है। हाल ही में बलरामपुर कलेक्टर के आदेश के बाद भी इस नियुक्ति के बारे में संबंधित अधिकारियों से अनुमोदन नहीं लिया गया, और मंत्रालय से जानकारी को छुपाए जाने का आरोप भी सामने आ रहा है।
कुसमी में भ्रष्टाचार पर नहीं लगी लगाम:
पिछले दो वर्षों से इस जनपद पंचायत में प्रभार की इस स्थिति ने भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा दिया है। सरकारी राशि का दुरुपयोग और विभिन्न विकास योजनाओं में अव्यवस्था के मामले सामने आ रहे हैं। इस व्यवस्था को लेकर प्रशासन और शासन के खिलाफ स्थानीय लोगों में असंतोष गहराता जा रहा है।
आखिर कब सुधरेगी कुसमी की व्यवस्था?
कुसमी जनपद पंचायत के विकास कार्यों में पिछले कुछ सालों से निरंतर गिरावट देखी जा रही है। अगर यही स्थिति रही तो यह संदेह का विषय बन जाएगा कि क्या प्रशासन जानबूझकर इस जनपद पंचायत को विकास से दूर रखकर सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने की अनुमति दे रहा है? क्या छत्तीसगढ़ शासन के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए कुसमी जनपद पंचायत में विकास कार्य ठप रहने का कोई राजनीतिक कारण है? इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता है ताकि इस भ्रष्टाचार को रोका जा सके और कुसमी के लोगों को सही प्रशासनिक व्यवस्था मिल सके।