भारत tv24×7 न्यूज चैनल रिपोर्टर – सैफ अली
बलरामपुर,5 नवंबर 2024/ बलरामपुर जिले में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम ने जिला प्रशासन को मुश्किल में डाल दिया। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के मंच पर पहुंचते ही पत्रकारों ने नाराजगी जताते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। इस घटना ने जिला प्रशासन की तैयारी और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, साथ ही यह जिले में चर्चा का विषय बन गई है।
जिला प्रशासन ने राज्योत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारी की थी, लेकिन पत्रकारों को कार्यक्रम से दूर रखने, उनके अधिकारों का उल्लंघन करने और उन्हें उचित सम्मान न देने के कारण वे नाराज हो गए। पत्रकारों का आरोप था कि उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उचित तरीके से आमंत्रित नहीं किया गया और न ही प्रेस के लिए कोई उचित व्यवस्था की गई थी। इसके चलते उन्होंने कार्यक्रम स्थल से उठकर वहां से जाने का निर्णय लिया।
मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े की प्रतिक्रिया
जब महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े मंच पर पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि मीडिया प्रतिनिधि कार्यक्रम से बाहर जा चुके थे। यह स्थिति जिला प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, जो कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों की अनदेखी कर बैठा था। प्रशासन की ओर से पत्रकारों के अधिकारों का उल्लंघन किए जाने का यह मामला अब जिले के प्रशासनिक तंत्र के लिए एक असहज स्थिति बन गया है। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर प्रशासन ने पत्रकारों को उचित सम्मान क्यों नहीं दिया और उनकी मांगों को क्यों नजरअंदाज किया गया?
विधायक उद्देश्वरी पैकरा भी थीं मौजूद
राज्योत्सव कार्यक्रम में सामरी विधानसभा की विधायक उद्देश्वरी पैकरा भी मंच पर उपस्थित थीं। हालांकि, पत्रकारों के बहिष्कार के बाद कार्यक्रम का माहौल बिगड़ गया। पत्रकारों के बिना कार्यक्रम का संचालन सुचारू रूप से नहीं हो पाया, जिससे प्रशासन की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि नाराज पत्रकारों को मनाया जाए और स्थिति को शांत किया जाए। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया नहीं गया है पत्रकारों के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि उन्हें क्यों कार्यक्रम से बाहर रखा गया और क्यों प्रशासन ने उनकी मांगों की अनदेखी की। पत्रकारों का आरोप था कि उन्हें कार्यक्रम के महत्व के अनुरूप सम्मान नहीं दिया गया। कई पत्रकारों ने यह भी कहा कि प्रशासन ने उन्हें कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी और उनके स्थान पर अन्य गैर-मीडिया लोग बैठाए गए। इस अपमान से वे आहत हुए और कार्यक्रम का बहिष्कार करने का निर्णय लिया।
पत्रकारों का यह भी कहना है कि कार्यक्रम के आयोजन में मीडिया का अहम स्थान होता है, लेकिन प्रशासन ने उनके लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किए, जिससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची। इस प्रकार के हालात ने प्रशासन की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है, और अब सवाल यह है कि प्रशासन इस स्थिति को कैसे सुलझाएगा।
अब यह सवाल उठता है कि जिला प्रशासन नाराज पत्रकारों को कैसे मनाएगा और क्या मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े इस मामले में अपनी भूमिका निभाएंगी? क्या प्रशासन और मंत्री इस घटना की गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई करेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन पत्रकारों के साथ संवाद स्थापित करता है या नहीं। पत्रकारों की नाराजगी और प्रशासन की लापरवाही इस घटना को एक बड़ा विवाद बना सकती है, जिसे सुलझाने में प्रशासन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
पत्रकारों के अधिकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पत्रकारों का कार्यक्रमों में महत्व है और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। यदि प्रशासन और नेता इस मुद्दे को हल्के में लेते हैं, तो यह उनकी छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह मीडिया प्रतिनिधियों के साथ अच्छा तालमेल बनाए रखे और उनके लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करे। पत्रकारों के बिना किसी भी कार्यक्रम की सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती, इसलिए उनकी उपेक्षा प्रशासन के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है।
इसके अलावा, यह घटना यह भी दर्शाती है कि कार्यक्रमों के आयोजन में मीडिया का हिस्सा अनिवार्य होता है। उन्हें भी कार्यक्रम के महत्व और उनके योगदान के अनुरूप सम्मान मिलना चाहिए। यदि प्रशासन और नेता इस बात को गंभीरता से नहीं लेंगे, तो ऐसे विवाद बढ़ सकते हैं और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगेंगे।
निष्कर्ष: प्रशासन की छवि पर सवाल
अब यह सवाल उठ रहा है कि जिला प्रशासन इस मुद्दे को कैसे सुलझाएगा और पत्रकारों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए क्या कदम उठाएगा। प्रशासन को इस घटना से सबक लेकर भविष्य में पत्रकारों के लिए बेहतर इंतजाम और सम्मान सुनिश्चित करना होगा। अन्यथा, ऐसे विवाद उनकी छवि को न केवल नुकसान पहुंचाएंगे बल्कि उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठाएंगे। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले में शीघ्रता से कदम उठाए और पत्रकारों के साथ संवाद कर स्थिति को शांत करे।